Saturday, August 7, 2010

|| उनतीस||

एक मंहगाई बढ़ाता है
दूसरा आन्दोलन करवाता है
इन दोनों की मार झेलने वालों को
जिस तीसरे से उम्मीद है
वह/ हर बार
दुम समेटकर
बिल में छुप जाता है

||तीस||

वह / जिसका टकों से रिश्ता है
हर 'जैसे -तैसे ' की औकात को
कुछ टकों में आंक देता है
बात जब टकों की औकात की आती है
आँखें तरेरकर
हलके से खांस देता है

2 comments:

अविनाश वाचस्पति said...

अच्‍छी टकटकाहट हैं
आहट है
टक बनी आहट है
रह गई हट है।

Anonymous said...

bahut badiya....

A Silent Silence : Shamma jali sirf ek raat..(शम्मा जली सिर्फ एक रात..)

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