||पच्चीस||
तेरी तस्वीर में
हर रंग भरकर देखा है
ये बिलकुल नहीं बदलती है
कौन सी आभा की
रेखाओं से बनी है
कि हर क्षण
सिर्फ अपना-सा दमकती है
||छब्बीस||
तुम्हारी तस्वीर में
तुम्हारी रंगत देखकर
झूम जाता हूँ
और तुम्हारी खुशबुओं में
डूब जाता हूँ
पर तुम पास होते हो / तो
तुम्हारी रंगत और खुशबू - दोनों को
भूल जाता हूँ
मैं इस कदर
तुममें डूब जाता हूँ
Thursday, July 22, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
तेरी तस्वीर में
हर रंग भरकर देखा है
ये बिलकुल नहीं बदलती है
कौन सी आभा की
रेखाओं से बनी है
कि हर क्षण
सिर्फ अपना-सा दमकती है
waah.....bahut sunder.....!!
par jra gour karein ..yahaan tasveer aur rekhayein donon striling hain donon ke liye 'अपना-सा'के बदले ' अपनी si ' होना chahiye .....
महादोषी जी,आप की छोटी कवितायेँ या कहें क्षणिकाएं बहुत सारी पढ़ गया .गहन संवेदना से पूर्ण इन रचनाओं के लिए बधाई
वाह!! क्षणिकायें प्रभावशाली हैं.
सुन्दर कवितायें ..कृपया वर्डवेरिफिकेशन हटा लें
Post a Comment