पचहत्तर
आश्चर्यचकित हूँ
जानकर कि
कवि लोग
कविता भी लिखते हैं
मैं सोचता था
थक जाते होंगे बेचारे
पुरस्कार लेने
और लौटाने के बीच!
छिहत्तर
हमीं बनाते हैं
पालकियाँ
हमीं बनाते हैं
मुकुट
क्यों नहीं बना पाते
कुछ अतिरिक्त
कान, नाक और आँखें?
इतना तय है
जब हम अपना कौशल बढ़ायेंगे
तभी अच्छे दिन आयेंगे!
सतत्तर
क्यों सहूँ
डूबना-उतराना
इस भँवर में
जानता हूँ जब
बटोरकर थोड़ी शक्ति
एक मछली-सी उछाल
तोड़ सकती है आसानी से
यह भंवर जाल!
अठत्तर
पानी
सिर से गुजर चुका है
कुत्तों के भौंकने का शोर
दिशाओं को निगल चुका है
मित्रो!
रोशनी की उम्मीद छोडो
जितना बढ़ा सकते हो
अपने नाखूनों को बढ़ाओ
और अंधेरों के जंगल में
घुस जाओ।
आश्चर्यचकित हूँ
जानकर कि
कवि लोग
कविता भी लिखते हैं
मैं सोचता था
थक जाते होंगे बेचारे
पुरस्कार लेने
और लौटाने के बीच!
छिहत्तर
हमीं बनाते हैं
पालकियाँ
हमीं बनाते हैं
मुकुट
क्यों नहीं बना पाते
कुछ अतिरिक्त
कान, नाक और आँखें?
इतना तय है
जब हम अपना कौशल बढ़ायेंगे
तभी अच्छे दिन आयेंगे!
सतत्तर
क्यों सहूँ
डूबना-उतराना
इस भँवर में
जानता हूँ जब
बटोरकर थोड़ी शक्ति
एक मछली-सी उछाल
तोड़ सकती है आसानी से
यह भंवर जाल!
अठत्तर
पानी
सिर से गुजर चुका है
कुत्तों के भौंकने का शोर
दिशाओं को निगल चुका है
मित्रो!
रोशनी की उम्मीद छोडो
जितना बढ़ा सकते हो
अपने नाखूनों को बढ़ाओ
और अंधेरों के जंगल में
घुस जाओ।