||सत्ताईस||
उड़ जाते हैं
बारूद के विस्फोट-भर से
कुछ पहाड़ वैसे होते हैं
नहीं उड़ते
दिल के विस्फोट से भी
कुछ पहाड़ ऐसे होते हैं
||अट्ठाईस||
प्रभु !
आपने एक समुद्र-मंथन से निकला
विष पिया था
देवताओं की प्रार्थना पर
आपको नीलकंठ कहते हैं
जो रोज
कितने ही समुद्र-मंथनों से निकला
विष पीता है
बिना किसी प्रार्थना के
उसको क्या कहते हैं ?
Friday, July 30, 2010
Thursday, July 22, 2010
||पच्चीस||
तेरी तस्वीर में
हर रंग भरकर देखा है
ये बिलकुल नहीं बदलती है
कौन सी आभा की
रेखाओं से बनी है
कि हर क्षण
सिर्फ अपना-सा दमकती है
||छब्बीस||
तुम्हारी तस्वीर में
तुम्हारी रंगत देखकर
झूम जाता हूँ
और तुम्हारी खुशबुओं में
डूब जाता हूँ
पर तुम पास होते हो / तो
तुम्हारी रंगत और खुशबू - दोनों को
भूल जाता हूँ
मैं इस कदर
तुममें डूब जाता हूँ
तेरी तस्वीर में
हर रंग भरकर देखा है
ये बिलकुल नहीं बदलती है
कौन सी आभा की
रेखाओं से बनी है
कि हर क्षण
सिर्फ अपना-सा दमकती है
||छब्बीस||
तुम्हारी तस्वीर में
तुम्हारी रंगत देखकर
झूम जाता हूँ
और तुम्हारी खुशबुओं में
डूब जाता हूँ
पर तुम पास होते हो / तो
तुम्हारी रंगत और खुशबू - दोनों को
भूल जाता हूँ
मैं इस कदर
तुममें डूब जाता हूँ
Thursday, July 15, 2010
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